इंसाफ के डगर पे बच्चों दिखाओ चल के।
दुनियां के रंज सहना और कुछ ना मुंह से कहना।
सच्चाइयों के बल पे आगे को बढ़ते रहना।
रख दोगे एक दिन तुम संसार को बदल के।
इंसाफ की डगर पे....
अपने हो या पराए सब के लिए हो न्याय
देखों कदम तुम्हारा हरगिज ना डगमगाए
रास्ते बड़े कठिन है चलना तुम संभल के
इंसानियत के सर पे इज्जत का ताज रखना
तन मन की भेट देकर भारत की लाज रखना
जीवन नया मिलेगा अंतिम चिता पे जल के।
इंसाफ की डगर पे बच्चों दिखाओ चल के...
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