सोमवार, 4 अगस्त 2025
Sakya library "गुप्त पुस्तकालय" – तथ्य और मिथक क्या आप जानते हैं
Sakya "गुप्त पुस्तकालय" – तथ्य और मिथक
2003 में Sakya मठ, जो तिब्बत में लगभग 300 मील पश्चिम में स्थित है, के दक्षिणी पंख में एक दीवार के पीछे छुपा एक विशाल पुस्तकालय मिला। यह दीवार लगभग 60 मीटर लंबी और 10 मीटर ऊँची थी।
Sakya "गुप्त पुस्तकालय" – तथ्य और मिथक
2003 में Sakya मठ, जो तिब्बत में लगभग 300 मील पश्चिम में स्थित है, के दक्षिणी पंख में एक दीवार के पीछे छुपा एक विशाल पुस्तकालय मिला। यह दीवार लगभग 60 मीटर लंबी और 10 मीटर ऊँची थी।
इसके पीछे कथित रूप से लगभग 84,000 शिलालेख, ग्रंथ, और स्क्रॉल छुपे हुए थे, जो सदियों से अप्रयुक्त रह गए थे।
दीवार के पीछे विशाल कक्ष में दस्तावेज़ों की कतारें थीं, जिन्हें शायद हमदर्द वातावरण में संग्रहीत रखा गया था ताकि समय के प्रभाव से संरक्षण हो सके
इनमें बौद्ध धर्मग्रंथ इतिहास, दर्शन, खगोलशास्त्र, गणित, आयुर्वेद, कला, कृषि आदि विषयों से संबंधित पुस्तकें शामिल थीं ।
ये ग्रंथ तिब्बती और संस्कृत सहित अन्य भाषाओं में लिखे गए थे।
शोधकर्ताओं के अनुसार लिखित इतिहास लगभग 5,000 वर्ष पुराना है और सबसे प्राचीन लंबा साहित्य "Gilgamesh" तक ही जुड़ा है।
तिब्बती समाज विज्ञान अकादमी ने इस पुस्तकालय का सर्वेक्षण 2003 में किया। 2011 से डिजिटाईज़ेशन कार्य शुरू हुआ; 2022 तक सभी ग्रंथों की सूची तैयार की गई और लगभग 20% ग्रंथ पूर्णतः स्कैन किये गए हैं ।
Sakya मठ में अब एक डिजिटल लाइब्रेरी भी संचालित की जा रही है ताकि इन ग्रंथों की वैज्ञानिक व शैक्षणिक उपयोग के लिए डिजिटली उपलब्धता हो सके
2003 में Sakya मठ, जो तिब्बत में लगभग 300 मील पश्चिम में स्थित है, के दक्षिणी पंख में एक दीवार के पीछे छुपा एक विशाल पुस्तकालय मिला। यह दीवार लगभग 60 मीटर लंबी और 10 मीटर ऊँची थी।
इसके पीछे कथित रूप से लगभग 84,000 शिलालेख, ग्रंथ, और स्क्रॉल छुपे हुए थे, जो सदियों से अप्रयुक्त रह गए थे।
दीवार के पीछे विशाल कक्ष में दस्तावेज़ों की कतारें थीं, जिन्हें शायद हमदर्द वातावरण में संग्रहीत रखा गया था ताकि समय के प्रभाव से संरक्षण हो सके
इनमें बौद्ध धर्मग्रंथ इतिहास, दर्शन, खगोलशास्त्र, गणित, आयुर्वेद, कला, कृषि आदि विषयों से संबंधित पुस्तकें शामिल थीं ।
ये ग्रंथ तिब्बती और संस्कृत सहित अन्य भाषाओं में लिखे गए थे
Sakya "गुप्त पुस्तकालय" – तथ्य और मिथक
2003 में Sakya मठ, जो तिब्बत में लगभग 300 मील पश्चिम में स्थित है, के दक्षिणी पंख में एक दीवार के पीछे छुपा एक विशाल पुस्तकालय मिला। यह दीवार लगभग 60 मीटर लंबी और 10 मीटर ऊँची थी।
इसके पीछे कथित रूप से लगभग 84,000 शिलालेख, ग्रंथ, और स्क्रॉल छुपे हुए थे, जो सदियों से अप्रयुक्त रह गए थे।
दीवार के पीछे विशाल कक्ष में दस्तावेज़ों की कतारें थीं, जिन्हें शायद हमदर्द वातावरण में संग्रहीत रखा गया था ताकि समय के प्रभाव से संरक्षण हो सके
इनमें बौद्ध धर्मग्रंथ इतिहास, दर्शन, खगोलशास्त्र, गणित, आयुर्वेद, कला, कृषि आदि विषयों से संबंधित पुस्तकें शामिल थीं ।
ये ग्रंथ तिब्बती और संस्कृत सहित अन्य भाषाओं में लिखे गए थे।
शोधकर्ताओं के अनुसार लिखित इतिहास लगभग 5,000 वर्ष पुराना है और सबसे प्राचीन लंबा साहित्य "Gilgamesh" तक ही जुड़ा है।
तिब्बती समाज विज्ञान अकादमी ने इस पुस्तकालय का सर्वेक्षण 2003 में किया। 2011 से डिजिटाईज़ेशन कार्य शुरू हुआ; 2022 तक सभी ग्रंथों की सूची तैयार की गई और लगभग 20% ग्रंथ पूर्णतः स्कैन किये गए हैं।
Sakya मठ में अब एक डिजिटल लाइब्रेरी भी संचालित की जा रही है ताकि इन ग्रंथों की वैज्ञानिक व शैक्षणिक उपयोग के लिए डिजिटली उपलब्धता हो सके
शोधकर्ताओं के अनुसार लिखित इतिहास लगभग 5,000 वर्ष पुराना है और सबसे प्राचीन लंबा साहित्य "Gilgamesh" तक ही जुड़ा है।
तिब्बती समाज विज्ञान अकादमी ने इस पुस्तकालय का सर्वेक्षण 2003 में किया। 2011 से डिजिटाईज़ेशन कार्य शुरू हुआ; 2022 तक सभी ग्रंथों की सूची तैयार की गई और लगभग 20% ग्रंथ पूर्णतः स्कैन किये गए हैं।
Sakya मठ में अब एक डिजिटल लाइब्रेरी भी संचालित की जा रही है ताकि इन ग्रंथों की वैज्ञानिक व शैक्षणिक उपयोग के लिए डिजिटली उपलब्धता हो सके
इसके पीछे कथित रूप से लगभग 84,000 शिलालेख, ग्रंथ, और स्क्रॉल छुपे हुए थे, जो सदियों से अप्रयुक्त रह गए थे।
दीवार के पीछे विशाल कक्ष में दस्तावेज़ों की कतारें थीं, जिन्हें शायद हमदर्द वातावरण में संग्रहीत रखा गया था ताकि समय के प्रभाव से संरक्षण हो सके
इनमें बौद्ध धर्मग्रंथ इतिहास, दर्शन, खगोलशास्त्र, गणित, आयुर्वेद, कला, कृषि आदि विषयों से संबंधित पुस्तकें शामिल थीं ।
ये ग्रंथ तिब्बती और संस्कृत सहित अन्य भाषाओं में लिखे गए थे।
शोधकर्ताओं के अनुसार लिखित इतिहास लगभग 5,000 वर्ष पुराना है और सबसे प्राचीन लंबा साहित्य "Gilgamesh" तक ही जुड़ा है।
तिब्बती समाज विज्ञान अकादमी ने इस पुस्तकालय का सर्वेक्षण 2003 में किया। 2011 से डिजिटाईज़ेशन कार्य शुरू हुआ; 2022 तक सभी ग्रंथों की सूची तैयार की गई और लगभग 20% ग्रंथ पूर्णतः स्कैन किये गए हैं ।
Sakya मठ में अब एक डिजिटल लाइब्रेरी भी संचालित की जा रही है ताकि इन ग्रंथों की वैज्ञानिक व शैक्षणिक उपयोग के लिए डिजिटली उपलब्धता हो सके
youtube
https://youtu.be/bjQ_vv9tLIA?si=0KOZzQ8yLk10gWsN
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