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वास्तु शास्त्र के नियम
वास्तु शास्त्र भारतीय परंपरा का एक प्राचीन विज्ञान है जो भवनों, घरों और संरचनाओं के निर्माण में दिशाओं, प्रकृति और ऊर्जा के संतुलन पर आधारित है। इसके नियम जीवन में सुख, समृद्धि और शांति लाने के लिए बनाए गए हैं। नीचे वास्तु शास्त्र के कुछ प्रमुख नियम दिए जा रहे हैं:
1. मुख्य द्वार (प्रवेश द्वार)
- मुख्य द्वार उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) में होना चाहिए, क्योंकि यह दिशा सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश द्वार मानी जाती है।
- द्वार कभी भी दक्षिण-पश्चिम दिशा में नहीं होना चाहिए, क्योंकि यह नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित कर सकता है।
- प्रवेश द्वार के सामने कोई अवरोध (जैसे पेड़, खंभा) नहीं होना चाहिए।
2. रसोईघर (Kitchen)
- रसोई दक्षिण-पूर्व (आग्नेय कोण) में होनी चाहिए, क्योंकि यह अग्नि तत्व की दिशा है।
- खाना बनाते समय चेहरा पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए।
- रसोई को उत्तर-पूर्व में बनाने से बचें, क्योंकि यह स्वास्थ्य और धन के लिए हानिकारक माना जाता है।
3. शयनकक्ष (Bedroom)
- मास्टर बेडरूम दक्षिण-पश्चिम दिशा में होना चाहिए, जो स्थिरता और शक्ति का प्रतीक है।
- सोते समय सिर दक्षिण या पूर्व की ओर होना चाहिए, इससे नींद अच्छी आती है और स्वास्थ्य बेहतर रहता है।
- बेडरूम में दर्पण को इस तरह न रखें कि सोते समय उसमें आपका प्रतिबिंब दिखे।
4. पूजा कक्ष (Pooja Room)
- पूजा कक्ष उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए, क्योंकि यह दिशा पवित्र और सकारात्मक ऊर्जा से जुड़ी है।
- मूर्तियों का मुख पूर्व या पश्चिम की ओर होना चाहिए।
- पूजा कक्ष को शौचालय या रसोई के पास न बनाएं।
5. शौचालय (Bathroom/Toilet)
- शौचालय उत्तर-पश्चिम या दक्षिण-पूर्व दिशा में होना चाहिए।
- इसे उत्तर-पूर्व में बनाना वर्जित है, क्योंकि यह स्वास्थ्य और समृद्धि पर बुरा प्रभाव डालता है।
- शौचालय का दरवाजा हमेशा बंद रखें।
6. जल स्रोत (Water Elements)
- पानी का स्रोत (जैसे नल, टंकी, कुआं) उत्तर-पूर्व में होना चाहिए, क्योंकि यह जल तत्व की दिशा है।
- दक्षिण-पश्चिम में जल स्रोत न रखें, यह वित्तीय हानि का कारण बन सकता है।
7. खुला स्थान और वेंटिलेशन
- घर का उत्तर-पूर्व हिस्सा खुला और हल्का रखें, ताकि सूर्य की रोशनी और हवा आसानी से आ सके।
- दक्षिण-पश्चिम हिस्सा भारी और ऊंचा होना चाहिए, यह सुरक्षा और स्थिरता देता है।
8. रंगों का प्रयोग
- दीवारों के लिए हल्के और सकारात्मक रंग जैसे सफेद, हल्का नीला, हरा या पीला चुनें।
- दक्षिण-पश्चिम में गहरे रंग जैसे भूरा या लाल प्रयोग कर सकते हैं।
9. सीढ़ियाँ (Stairs)
- सीढ़ियाँ दक्षिण या पश्चिम दिशा में बनानी चाहिए।
- उत्तर-पूर्व में सीढ़ियाँ बनाने से बचें, यह वास्तु दोष माना जाता है।
- सीढ़ियों की संख्या विषम (Odd) होनी चाहिए।
10. भूमि का चयन
- भूखंड आयताकार या वर्गाकार होना चाहिए।
- ढलान उत्तर-पूर्व की ओर हो तो शुभ माना जाता है, जबकि दक्षिण-पश्चिम की ओर ढलान नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
ये नियम सामान्य दिशानिर्देश हैं और इन्हें लागू करने से पहले स्थानीय परिस्थितियों, जलवायु और व्यक्तिगत जरूरतों को ध्यान में रखना चाहिए। यदि आप किसी खास संरचना या स्थिति के बारे में विस्तार से जानना चाहते हैं, तो मुझे बताएं!
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